अंधकार में विज्ञान की रोशनी: सत्यनारायण पाराशर की अद्भुत यात्रा
आगामी विश्व ब्रेल दिवस पर अग्निबाण के लिए फोटोपत्रकार उमा शंकर मिश्रा की खास खबर।
अंधकार में विज्ञान की रोशनी: सत्यनारायण पाराशर की अद्भुत यात्रा
आगामी विश्व ब्रेल दिवस पर अग्निबाण के लिए फोटोपत्रकार उमा शंकर मिश्रा की खास खबर।
विश्व ब्रेल दिवस 4 जनवरी को मनाया जाता है। इस अवसर पर, हम आपको एक ऐसी परिवार से रूबरू करने जा रहे हैं जिनकी दिनचर्या आपको प्रेरित करेगी। जबलपुर निवासी सत्य नारायण पाराशर , जो कि एक दृष्टिबाधित शिक्षक हैं और रोज नियमित स्कूल पहुंचकर बच्चों को शिक्षा का पाठ पढ़ाते हैं।
इस तस्वीर में सत्य नारायण पाराशर जी अपने निवास पर रामचरितमानस का पाठ करते हुए दिखाई दे रहे हैं, जबकि उनकी पत्नी पिंकी पाराशर जो स्वयं दृष्टिबाधित है, वो अपनी दृष्टिबाधित बेटी हर्षिता पाराशर को खाना खिला रही हैं। यह तस्वीर हमें यह दिखाती है कि इस परिवार ने अपनी दृष्टिबाधिता को अपने जीवन में बाधा नहीं बनने दिया है।
हर्षिता पाराशर, जो कि स्कूल की ड्रेस में तैयार है, स्कूल के लिए जा रही है, सत्य नारायण पाराशर जी को राम चरित्र मानस का पूरा पाठ ब्रेललिपि के माध्यम से याद है, जो उनकी स्मृति और संघर्ष की भावना को दर्शाता है।
सत्य नारायण पाराशर की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि दृष्टिबाधित लोगों की क्षमताएं और संभावनाएं अनंत हैं। वह एक प्रेरणादायक उदाहरण हैं कि कैसे पूरा परिवार दृष्टिबाधित होने के बाद भी अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है और दूसरों को प्रेरित कर सकता है।
विश्व ब्रेल दिवस लुई ब्रेल की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने ब्रेल लिपि प्रणाली का आविष्कार किया था। ब्रेल लिपि एक ऐसी प्रणाली है जिसका उपयोग दृष्टिबाधित लोग पढ़ने और लिखने के लिए करते हैं।
यह खबर हमें यह याद दिलाती है कि दृष्टिबाधित लोगों को समाज में समान अवसर प्रदान किए जाने चाहिए, और उनकी क्षमताओं और संभावनाओं को पहचाना जाना चाहिए।