नालियों में पड़े हैं ट्रैफिक स्टॉपर

लगता है शहर की मुख्य सड़कों के अलावा भी अब गली मोहल्ले में ट्रैफिक व्यवस्था होगी।

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जबलपुर– लगता है शहर की मुख्य सड़कों के अलावा भी अब गली मोहल्ले में ट्रैफिक व्यवस्था होगी। अगर ऐसा नहीं है तो फिर क्यों ट्रैफिक स्टॉपर- मोहल्ले की नालियों में पड़े -पड़े जंग खा रहे हैं। जबकि शहर में जब भी वी आईपी मूवमेंट होता है इन ट्रेफिक स्टॉपरो की आवश्यकता ट्रैफिक डायवर्ट करने में की जाती है, और तो और यह ट्रैफिक कंट्रोल करने में भी काम आते हैं।

शहर के मुख्य मार्गों और चौराहों के पास अक्सर इन स्टपरो देखा जाता है। और इनके उपयोग से ही ट्रैफिक पुलिस वाले शहर की यातायात व्यवस्था को कंट्रोल करने के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर ट्रैफिक डायवर्ट भी करते हैं। जिससे जाम की स्थिति ना बने। और यातायात सुचारू रूप से चलता रहे। लेकिन इन का उपयोग करने के बाद यह कहां और किस हाल में पड़े रहते हैं यह देखना ट्रैफिक पुलिस वाले भूल जाते हैं। कहीं – कहीं इन स्टपरो का उपयोग नो पार्किंग वाली जगह पर भी किया जाता है। लेकिन ट्रैफिक पुलिस कर्मी अपनी ड्यूटी पूरी करके खुद तो चले जाते हैं और इन्हें इस हाल में छोड़ देते हैं।
जंग खा रहे स्टॉपर- शहर के कई मोहल्लों में यह इसी तरह लावारिस अवस्था में देखे जा सकते हैं। कहीं नालियों में पड़े यह स्टॉपर देखे जा सकते हैं। कहानी कचरे की ढेर के आसपास यह देखने को मिल जाएंगे। किसी का चक्का गायब है, तो कोई स्टॉपर तीन पैर पर ही खड़ा है। देख रेख के आभाव में यह खराब होते जा रहे हैं।

खराब हो रही सरकारी संपत्ति- जिस तरह से शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को संभालने का दायित्व ट्रैफिक पुलिस का है, इस तरह इनकी देखरेख का भी काम ट्रैफिक पुलिस कर्मियों का बनता है। लेकिन अपनी ड्यूटी की और चलते बने इस अंदाज में काम हो रहा है शहर के हनुमान ताल, मिलोनीगंज, निवाडगंज कोतवाली, के आसपास के गली मोहल्लों में यह इस हाल में पड़े हैं। जहां पर इनका उपयोग करने वालों का ध्यान नहीं जाता। आखिर खराब तो सरकारी संपत्ति हो रही है इनका क्या।

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