अध्यक्ष बनने आतुर एक गुरु के दो चेले!

महाराष्ट्र-झारखंड चुनाव के बाद संगठन चुनाव की सरगर्मी बढ़ी,गुटों की ओर से तैयार हैं दावेदार,एक-दूसरे की टांग खींचने की तैयारियां भी पूरी

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अध्यक्ष बनने आतुर एक गुरु के दो चेले!
महाराष्ट्र-झारखंड चुनाव के बाद संगठन चुनाव की सरगर्मी बढ़ी,गुटों की ओर से तैयार हैं दावेदार,एक-दूसरे की टांग खींचने की तैयारियां भी पूरी

जबलपुर। इधर, मौसम में भले ही सर्दी का जोर बढ़ रहा हो,लेकिन भारतीय जनता पार्टी में जिला अध्यक्ष के चुनाव को लेकर गर्माहट का आलम है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव तक एक ही गुट में सवार चेहरे अब जिले के संगठन की सबसे बड़ी कुर्सी में बैठने के लिए हर सीमा लांघने को तैयार हैं। यहां तक कि एक ही राजनीतिक गुरु के चेलों में भी अध्यक्ष के पद के लिए ठन गयी है। महाराष्ट्र-झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और अब जिला अध्यक्षों के चुनाव का आगाज होगा।
-अपने-अपने मोहरों पर दांव
भाजपा में वैसे तो कई गुट हैं,जो आमतौर पर हर पार्टी में हैं,लेकिन जिले के अध्यक्ष को लेकर जनप्रतिनिधियों और संगठन के पदाधिकारियों में रस्साकशी का दौर है। नेतागण अपना मोहरा फिट करना चाह रहे हैं तो संगठन चाहता है कि उसका ही कोई पदाधिकारी प्रमोट हो जाए। सब अपने मोहरों पर दांव खेलना चाह रहे हैं। हालाकि, भाजपा में अभी तक ये मर्यादा शेष है कि असहमतियां सड़क पर उतर कर नहीं व्यक्त की जातीं, जो होता है बंद कमरे में होता है और वही सबको स्वीकार भी करना पड़ता है। जाहिर है इस बार भी ऐसा ही होगा,लेकिन इस स्टेज तक पहुंचने के लिए फिलहाल सभी संघर्ष कर रहे हैं।
-सदस्यता अभियान की भूमिका
भाजपा के सदस्यता अभियान की शुरुआत में ही पार्टी ने कहा था कि जो सदस्य ज्यादा संख्या में नए सदस्य जोड़ेगा,वो संगठन चुनाव में दावेदार होगा और इन्हीं में से किसी को जिला अध्यक्ष तक के पद से नवाज दिया जाएगा। अब जैसे-जैसे चुनाव की घड़ियां करीब आ रही हैं तो मर-मरकर ज्यादा सदस्य बनाने वाले अपना रिकॉर्ड लेकर तैयार बैठे हैं ताकि अपनी दावेदारी पेश कर सकें,लेकिन जानकारों का कहना है कि सदस्यता अभियान वाला नियम कभी भी शिथिल और निष्क्रिय किया जा सकता है,क्योंकि विगत में भी ऐसा हो चुका है। कई ऐसे हैं,जिन्होंने
सदस्यता अभियान में कुछ खास करने का कभी प्रयास नहीं किया,वे संगठन चुनाव में आगे-आगे हो रहे हैं।
-युवा या फिर उम्रदराज
बहुत मजेदार तरीके से अपने दावेदार की उम्र देखते हुये उसी हिसाब से तर्क व्यक्त किए जा रहे हैं। एक बड़े नेता ने अपने कार्यकर्ताओं की मीटिंग में जोर देकर कहा कि जिला भाजपा का अध्यक्ष युवा होना चाहिए ताकि ऊर्जा का स्तर कम न हो। दरअसल, ये नेता जिस चेहरे पर दांव लगा रहे हैं, वो नई उम्र का है और इनका एकदम खास। दूसरी ओर, सालों से संगठन और चुनाव में सक्रिय नेताओं ने अनुभवी और उम्रदराज चेहरे की मांग छेड़ रखी है,क्योंकि इन्हें युवा चेहरों से गुरेज है। अब ये गुरेज क्यों है,इसे लेकर संगठन में कई बातें हैं।
-अंतत:संगठन ही तय करेगा
भाजपा के संगठन चुनाव को लेकर अंतत: संगठन की राय की सर्वोपरि होती रही है और इस बार भी यही होगा,लेकिन संगठन की अंतिम राय के सामने आने से पहले तक भाजपाई एक-दूसरे की टांग खींचने में किसी तरह की कसर छोड़ने वाले नहीं है और भोपाल से लेकर दिल्ली तक लॉबिंग करने का भी पूरा मन बना लिया गया है।

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