शीघ्र ही प्रायश्चित्त की हम करेंगे घोषणा
बदरीनाथ मन्दिर भी जा रहा तिरुपति की राह-
हम सूचित करना चाहेंगे कि धोखे से या ज़बर्दस्ती से कराये गये कार्य धर्म की दृष्टि से न किये के बराबर होते हैं। तथापि भावशोधन के लिये शास्त्रानुकूल प्रायश्चित्त भी हम धर्मशास्त्रियों से परामर्श के बाद घोषित करेंगे ।
बदरीनाथ मन्दिर भी जा रहा तिरुपति की राह-
जिस तरह तिरुपति मन्दिर सरकारी तन्त्र में फँसकर आज इतने बडे हिन्दू विरोधी कार्य के लिये चर्चा में है ठीक उसी तर्ज पर बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति भी आगे बढ़ रही है। समिति ने बदरीनाथ भगवान् का भोग प्रसाद बनाने और पूजा आदि धार्मिक कृत्यों को सँभालने के लिये हज़ारों वर्षों से आदि शङ्कराचार्य द्वारा नियुक्त डिमरी समुदाय के पवित्र कुल को परे धकेलते हुये सीधी भर्ती का नियम पारित किया है जिससे यह भय उत्पन्न हो गया है कि जाने कौन नियुक्त होकर जाने क्या बनाने, भोग लगाने और प्रसाद बँटवाने लग जायेगा। आश्चर्य नहीं कि थूककर या मूत्रकर वाला भी कभी नियुक्त हो जाये ! हम इस वक्तव्य के माध्यम से बदरीनाथ केदार नाथ मंदिर समिति को भी इस आशय के अपने प्रस्ताव को – वापस लेने का अनुरोध कर रहे हैं जिसके विरोध में इस समय वहाँ आन्दोलन भी चल रहा है।
गौ प्रतिष्ठा आन्दोलन सही –
हिमालय
घटना के संज्ञान में आने से हमारी परसों अयोध्या से आरम्भ होकर 36 दिनों की 36 प्रदेशों की गोप्रतिष्ठा ध्वजस्थापना भारत यात्रा का औचित्य भी सिद्ध हुआ है कि यदि गायें सुरक्षित होंगी तो हमें घी मिलेगा और मारी जायेंगी तो चर्बी मिलेगी।
पहाड़
‘परमार परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिषीधीश्वर जगद्वारु स्वामिश्री-अयोतिविन्धः सरस्वती
शंकराचार्य