जिधर मिली जमीन उधर बेधड़क प्लॉटिंग

शहर में अवैध कालोनियां तनती गईं और जिम्मेदार आंख बंद किए रहे।

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जिधर मिली जमीन उधर बेधड़क प्लॉटिंग

शहर में अवैध कॉलोनी वालों से जनता त्रस्त, हर तरफ मची है लूट, कभी-कभी जागते हैं जिम्मेदार,सरकार को लाखों के टैक्स की चपत

जबलपुर। शहर में अवैध कालोनियां तनती गईं और जिम्मेदार आंख बंद किए रहे। बिल्डर अवैध प्लाट काटते गए और लोग सस्ते के चक्कर में प्लाट खरीद कर मकान बनाते गए। हुआ ये कि शहर में लगभग 500 अवैध कालोनियां बन गई। हाल ये है कि अधिकांश कालोनियों में बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं न होने से कालोनीवासी परेशान हो रहे हैं। कॉलोनी बनाने वालों के पास कॉलोनाइजर लाइसेंस नहीं है। रेरा तथा कॉलोनाइजर नियमों का अवहेलना कर अवैध प्लाटिंग की गई है। नगर निगम या अन्य विभाग अवैध कॉलोनी पर तभी कार्रवाई करते हैं, जब और कोई चारा नहीं रहता। इससे पहले तक सब कुछ चलता रहता है।

-कितनी सजा,कितना जुर्माना
विधि के जानकारों के मुताबिक नगर पालिक निगम अधीनियम 1956 की धारा 292 (ग) में कालोनी निर्माण के नियमों का उल्लंघन करने वाले को न्यूनतम तीन या अधिकतम सात वर्ष की सजा और 10 हजार रुपये के जुर्माने का प्रविधान है। ऐसा अपराधा संज्ञेय अपराध होता है। कालोनी निर्माण करने वाला कोई भी व्यक्ति जो मप्र राजस्व भू संहिता 1959 (क्रमांक 20 वर्ष 1959) की धारा 172 की धारा तथा उसके अधीन बनाए गए नियमों के उपबंधों का अतिक्रमण करके किसी भूमि या उसके भाग को व्यपवर्जित करता है तो वह भूमि के अवैध व्यपवर्तन का अपराध करता है।

-इन पर कसा है शिकंजा
जिला प्रशासन की कॉलोनी सेल ने भेड़ाघाट नगर पंचायत के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र भड़पुरा, लम्हेटाघाट और गोपालपुर में बन रही हैं। एसडीएम से मिले प्रतिवेदन, पटवारियों की जांच और शिकायतों के आधार पर जब जांच की गई तो कई तरह की गड़बडियां सामने आई। यह सभी स्थान नर्मदा नदी के आसपास हैं। यह भी देखा रहा है कि यह 300 मीटर के दायरे में तो नहीं हैं। जिला प्रशासन के कॉलोनी सेल की तरफ से इसके लिए कॉलोनी बनाने, वालों के खिलाफ नोटिस जारी किए गए हैं। कॉलोनी सेल ने भरत पटेल को नोटिस भेजा है। इन्होंने लम्हेटाघाट में 0.200 हेक्टेयर में कॉलोनी बनाई है। इसी प्रकार रेवा एसोसिएट्स के जयकुमार कोरी ने 0.700, दिलीप भारती गोस्वामी ने लम्हेटाघाट में 0.750 हेक्टेयर, बाल किशन गुप्ता ने गोपालपुर में 0.370 हैक्टेयर, दिलीप एवं अजय मिश्रा ने
लम्हेटाघाट में 0.740 हेक्टेयर, धनेश तिवारी ने लम्हेटाघाट मे 0.4380 हेक्टेयर और सुरेश प्रसाद ने भी लम्हेटाघाट के समोप 1.5S हेक्टेयर में कॉलोनी बनाई है।
कॉलोनी सेल ने वर्तमान में 25 अन्य प्रकरणों की सुनवाई कर रही है। यह भी अवैध कॉलोनी की श्रेणी में हैं। यहां रहने वाले लोगों ने इसकी शिकायत संबंधित क्षेत्र के एसडीएम से की है। यहां कोलोनाइजर लोगों को जरुरी सुविधाएं भी नहीं दे रहे हैं। अब शिकायतकर्ता एवं कॉलोनी बनान वाला के बयान लिए जा रहे हैं।
-एजेंसियां चुप्पी क्यों साध लेती हैं
जिला प्रशासन ने अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई के लिए जब तैयारी शुरू की, तो सूची देख कर सबकी आंखें फटी की फटी रह गईं। जिला प्रशासन, नगर निगम, नगर तथा ग्राम निवेश और जेडीए और हाउसिंग बोर्ड जैसी एजेंसियों के रहते अवैध कालोनियां बसा ली गई। इनमें बकायदा बसाहट भी हो गई। सवाल यह है कि इतने वर्षों में सबंधित एजेंसियां क्यों हाथ पर हाथ धरे बैठे रहीं। खेत की जमीन खरीद कर उसके टुकड़े बेच दिए जा रहे हैं। सालों से कॉलोनाइजर जमीनों की जमकर बंदरबांट करते आ रहे हैं। फिर चाहे जलभराव क्षेत्र हो अथवा पहाड़ी भूमि, उन्हें इससे कोई सरोकार नहीं है।
-खरीदार त्रस्त, सरकार को भी चूना
अवैध कॉलोनियों का नुकसान जहां खरीदार को भोगना पड़ रहा है, वहीं बिल्डर शासन को चूना लगाने में भी पीछे नहीं हैं। खेत की जमीन के नाम पर सत्ती दरों पर रजिस्ट्री करा दी जाती है। ऐसे में शासन को राजस्व का नुकसान भी उठाना पड़ता है। भूमि के लिए विभिन्न विभागों को मिलने वाला विकास शुल्क भी बिल्डर गपा लेते हैं। बिजली विभाग, नगर तथा ग्राम निवेश सहित नगर निगम को अनुमतियों के लिए मिलने वाला शुल्क भी प्राप्त नहीं होता। इतना ही नहीं, इन कालोनियों के खरीदारों को सरकारी एजेंसियों के भरोसे छोड़ दिया जाता है। ऐसे में निगम और शासन के बजट का बड़ा हिस्सा भी इन अवैध कॉलोनियों के विकास में खर्च हो जाता है। अवैध कॉलोनी काटने वालों के खिलाफ एफआइआर का प्रावधान है। इनसे शुल्क वसूली के लिए कुर्की सहित ढेरों नियम कायदे हैं लेकिन सरकारी तंत्र में इच्छाशक्ति की कमी का लाभ उठाकर बिल्डर बेधडक़ एक के बाद एक खेतों में प्लाटिंग करते जाते हैं। अब तक प्रशासन इनके खिलाफ कार्रवाई की नजीर पेश नहीं कर सका। ऐसे में अवैध कालोनी बनाने वाले बेखौफ काम में जुटे हुए हैं।

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