जबलपुर आने से क्यों कतराते रहे डीजीपी सुधीर सक्सेना

जबलपुर में ही सीएसपीऔर उसके बाद एक लंबे अरसे तक एसपी रहे वर्तमान डीजीपी सुधीर सक्सेना

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जबलपुर आने से क्यों कतराते रहे
डीजीपी सुधीर सक्सेना

 

जबलपुर में ही सीएसपीऔर उसके बाद एक लंबे अरसे तक एसपी रहे वर्तमान डीजीपी सुधीर सक्सेना अपने ढाई वर्ष के कार्यकाल में जबलपुर आने से क्यों कतराते रहे ये सवाल यहां के पुराने पुलिस अधिकारियों, नेताओं और पत्रकारों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है ।

वर्तमान डीजीपी सुधीर सक्सेना जबलपुर में एक सफल एसपी के रूप में याद किए जाते हैं , लगभग 3 वर्षों के अपने कार्यकाल में उन्होंने कई ऐसे मामलों का पर्दाफाश किया जो राष्ट्रीय लेवल के थे जिसमें भेड़ाघाट से चुराई गई माला देवी की प्रतिमा की वापसी भी शामिल थी इस मसले में बाकायदा उनका जुलूस के रूप में स्वागत किया गया था क्योंकि ये प्रतिमा भक्तों की आस्था की प्रतीक थी।
पिछले कई वर्षों से केंद्र सरकार में दिल्ली में प्रति नियुक्ति पर गए सुधीर सक्सेना 2022 मार्च में मध्य प्रदेश के डीजीपी नियुक्त किए गए उसके बाद से वे प्रदेश के अनेक जिलों में दौरे पर गए वहां की कानून व्यवस्था की जानकारी ली ,लेकिन जिस जबलपुर शहर ने उन्हें अपनापन दिया उस जबलपुर आने में न जाने क्यों वे लगातार परहेज करते रहे जबकि जबलपुर मध्य प्रदेश का एक महानगर भी माना जाता है और सुधीर सक्सेना का एक सफल कार्यकाल का गवाह भी जबलपुर रहा है।
अपने ढाई वर्ष के कार्यकाल में जो अगले महीने यानी नवंबर में खत्म होने वाला है सुधीर सक्सेना केवल दो बार जबलपुर आए, पहली बार उन्होंने शहर से दूर भेड़ाघाट में अपना दरबार लगाया जिसमें उनके साथ काम किए गए पुराने पुलिस अधिकारियों को बुलाकर उनसे चर्चा की उस दौरान भी शहर के पत्रकारों ने उनसे शहर की कानून व्यवस्था के बारे में चर्चा करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया उसके बाद गत दिवस बालाघाट से लौटते वक्त वे जबलपुर आए और गुपचुप अधिकारियों से चर्चा कर एक या दो घंटे में वापस हो गए जबकि जबलपुर में कानून व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है इस बारे में डीजीपी से सवाल जवाब किए जा सकते थे शायद यही कारण है कि उन्होंने शहर में ना तो पत्रकार वार्ता की और ना ही इस संबंध में कोई जानकारी ही दी।
अगले महीने 30 नवंबर को डीजीपी सुधीर सक्सेना की सेवानिवृत्ति हो जाएगी वे अपने ढाई साल के बतौर डीजीपी के कार्यकाल में कानून व्यवस्था में कोई खास सुधार नही कर पाए।
कहां तो ये भी जा रहा था कि जिस तरह से पूर्व डीजीपी विवेक जौहरी को दो साल का एक्सटेंशन दिया गया था उसी तर्ज पर सुधीर सक्सेना को भी कम से कम एक वर्ष का एक्सटेंशन दिया जा सकता है लेकिन उनके खाते में कोई ऐसी उल्लेखनीय उपलब्धि नहीं थी शायद यही कारण है कि उन्हें उनके कार्यकाल की समाप्ति पर सेवानिवृत्ति किया जा रहा है, बहरहाल जबलपुर इस बात को शिद्दत से याद रहे रखेगा कि जिस अधिकारी को उसने भरपूर सहयोग दिया था उसी अधिकारी ने उस शहर के प्रति लगातार उपेक्षा बरती।

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